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Historical

पुराने ज़माने का वह दौर जब मोटर गाड़ियों ने धीमे धीमे मक्का में ले ली ऊँटो की जगह ,अब कोई नहीं करता ऊँट की सवारी

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बताया जाता है कि सऊदी अरब में पहले के दौर में अल रावी नाम से हाजियों के लिए बस चलाई जाती थी।

देश के विभिन्न शहरों की तरह मक्का मुकर्रमा, मीना, मुज़दलफ़ा,औऱ अरफ़ात में भी हज ट्रांसपोर्ट के द्वारा तब से लेकर अब तक काफी प्रगति की गई है।

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अल अरबिया नेट की रिपोर्ट के मुताबिक़ बसों की जनरल सिंडीकेट का कहना है

कि पिछले दशकों के दौरान हज सीज़न के वक़्त ट्रांसपोर्ट सेक्टर के द्वारा काफी तेजी के साथ तरक्की की गई है।

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पुराने जमाने में हज का सफर करना काफी ज्यादा मुश्किलों से भरा हुआ करता था हज यात्रियों को उनके शहर से पवित्र स्थानों तक ले जाने में कई कई महीने लग जाया करते थे।

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बसों की जनरल सिंडिकेट ने बताया कि सऊदी रियासत की स्थापना के बाद ट्रांसपोर्ट के नए साधान हज यात्रा

के लिए पेश किए गए। 1924 यह वह समय था जब हज की यात्रा के लिए ऊँट की जगह मोटर गाड़ियों ने ले ली थी।

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पुराने ज़माने में ऊंट का ही सहारा हुआ करता था इन्हीं ऊँट के जरिए से जायरीन को हज की जगह तक पहुंचाया जाता था और अन्य पवित्र स्थलों तक भी।

सऊदी अरब में पहली बार 1948 में बसों के जनरल सिंडीकेट की स्थापना की गई थी।

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4 साल तक यह सिलसिला यूँ ही जारी रहा। मार्च 1953 में बादशाह अब्दुल अजीज के द्वारा बसों की जनरल सिंडिकेट 2 की स्थापना का फरमान जारी कर दिया था।

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