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मोहब्बत औऱ तहज़ीब की निशानी “शत उल अरब” नदी, जो इराक को जोड़ती है अरब से
![मोहब्बत औऱ तहज़ीब की निशानी "शत उल अरब" नदी, जो इराक को जोड़ती है अरब से 41 Facebook Ad 1200x628 px 2023 02 18T112249.421](https://arabnama.net/wp-content/uploads/2023/02/Facebook-Ad-1200x628-px-2023-02-18T112249.421.jpeg)
इराक में बेहद मशहूर नदी “शत उल अरब” और इराक शहर के बुसरा का चोली दामन का साथ है। यह शहर और यह नदी अरब के लोगों की मोहब्बत और उनके सभ्यता की निशानी है।
सऊदी न्यूज़ एजेंसी एसपीए की खबरों के मुताबिक “शत उल अरब” और बुशरा के संबंध में बहुत सारी प्राचीन और आधुनिक किस्से कहानियां जुड़े हुए हैं। खाड़ी के अरब देश को इराक से इन कहानियों के जरिए जोड़ा गया है।
“शत उल अरब” दजला और फरात नहरों से परवान पाने वाली नदी है। बगदाद से करीब 375 किलोमीटर दक्षिण में स्थित अल करना शहर में फ़रात की बाहरी धारा फरात नहर से जा मिलता है।
फरात और दजला की धारा कर्मत अली में जाकर मिलता है यह नदी क़रीब 190 किलोमीटर से कहीं ज्यादा लंबी बताई जाती है।
“शत उल अरब” के किनारे 14 मिलियन से भी ज्यादा खजूर के पेड़ लगे हुए हैं। यह इराक में खजूरों के कुल पेड़ों का एक तिहाई बताया जाता है। उसे सालाना तौर पर करीब डेढ़ लाख तक खजूरे पैदा होती हैं।
“शत उल अरब” की चौड़ाई अलग-अलग जगह पर अलग-अलग बताई जाती है। सबसे कम इसकी चौड़ाई 400 मीटर है जो कि अल अशआर में पाई गई है और खाड़ी अरब के अल्फाव गांव में इसकी धारा करीब 1500 मीटर के लगभग चौड़ी बताई जाती है। इसकी गहराई 9 मीटर से लेकर 10.75 मीटर तक है।