पूर्ण रूप से व्यवस्थित तरीके के साथ हज का संचालन करने से पहले आने वाली मुश्किलों का जिक्र करते हुए प्रवक्ता ब्रिगेडियर अल खलवी ने बताया था कि सबसे ज्यादा मुश्किल स्थिति इस वक्त पेश आई थी जब अल जमरात की तरफ लोग डेरा डालते थे जिसकी वजह से रमी के रास्ते में भीड़ की स्थिति पैदा हो जाती थी।
सऊदी अरब के टीवी अलग बारे के साथ बात करते हुए पूर्व के प्रवक्ता रिटायर्ड ब्रिगेडियर अल्वी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि हज का संचालन को व्यवस्थित करने से पहले कोई भी हज करने जा सकता था देश के अंदर से किसी भी व्यक्ति पर कोई पाबंदी नहीं थी की वजह से काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता था।
उन्होंने बताया कि करीब 12 साल पहले जब देश के अंदर जायरीन की तादाद सीमित नहीं की जाती थी
और हज परमिट की शुरुआत नहीं की गई थी उस वक्त सबसे ज्यादा मुश्किल चरण जायरीन के काफिलों को व्यवस्थित करना होता था।
मुशायर मुकद्दस ( मीना, मुकद्दस, अरफ़ात, ) मैं रहने वाले शायरी असंगठित रूप से सड़कों और गलियारों पर डेरा डाला करते थे
इसके अलावा यातायात को कंट्रोल करने में भी बहुत मुश्किल होती थी सड़कों पर लोगों के पड़ाव और गाड़ियों को पार करने की वजह से रास्ता बहुत सकरा हो जाता था
गाड़ियों के चलाने वाले अक्सर रॉन्ग साइड पर ड्राइविंग करते नजर आते थे जिससे यातायात में दुश्वारी पैदा हो जाती थी।
वनवे होने की वजह से गाड़ियों में टकराव भी हो जाया करता था अतीत में हज के लिए आने वाले लोगों के लिए सबसे ज्यादा समस्या उनका सामान होता था
जो वह अपने साथ लाते थे उन सामानों को रास्तों पर रख दिया जाता था जिससे यह सामान रास्तों को छेक लेते थे।
हज सीज़न की शुरुआत होते ही मक्का मुकर्रमा में रहने वाले लोगों के अलावा अन्य लोगों के लिए मक्का में प्रवेश लेना वर्जित कर दिया जाता है
इस पाबंदी का मकसद गैरकानूनी हज करने वाले लोगों को कंट्रोल करना है और यहां की तादाद को सीमित रखना है।