अल-मरसद अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक बताया जा रहा है कि अल-अजहर यूनिवर्सिटी में तुलनात्मक न्यायशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. अहमद करीमा का कहना है
कि जो भी व्यक्ति नमाज़ की उपेक्षा करने की कोशिश करता है तो यह उसका खंडन करना मन जाएगा,
ऐसे में वह व्यक्ति हमारे इस्लाम मज़हब से धर्मत्यागी होगा, और जो भी व्यक्ति अपने आलस की वजह से इसे छोड़ देगा उसे अवज्ञाकारी मुस्लिम कहा जाएगा।
मिस्र के एक खास टीवी चैनल पर प्रसारित होने वाले एक फेमस शो “नौवें” में बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि पैगम्बर साहब के दौर में ऐसा
एक भी मामला साबित नहीं हो सका था, (खुदा उनपर रहमत बरसाए) कि जब उन्होंने किसी भी धर्म का त्याग करनें वाले व्यक्ति को कत्ल करने का आदेश सुनाया हो।
उन्होंने अपने दौर में बहुत सारे धर्मत्यागियों होने के बावजूद भी (खुदा उनपर रहमत बरसाए) और इस्लाम धार्मिक बहुलवाद को मान्यता देता है
और वह ईसाई धर्म या फिर यहूदी धर्म का अपमान या फिर तिरस्कार कभी नहीं करता है।
उन्होंने बताया कि सुन्नत और समुदाय और अल-अजहर अल-शरीफ के सिद्धांत में प्रमुख पापों का अपराधी, वह एक अवज्ञाकारी मुसलमान है
और उसके लिए हुक्म खुदा की तरफ से है अगर खुदा चाहे तो वह उसे माफ कर देगा, और आगर खुदा वह चाहे तो उसे दण्ड देगा।