सऊदी अरब के पश्चिमी तटीय शहर जद्दा में रहने वाली लड़की एमन 90 के दशक में ऐसे नावेल पढ़ने की ख्वाहिश रखती हैं जिसमें जिंदगी की गंभीरताओं को तलाश किया गया था। जिसका उन्हें खुद भी सामना करना पड़ा था।
अरब न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी नस्ल की अमेरिकी नावेलिस्ट महिला एमन के पिता सऊदी अरब के हैं जबकि उनकी माता अमेरिका की हैं।
ऐमन ने पहचान ना मिलने, समामाजिक दबाव और पारिवारिक ड्रामों के बारे में अपनी ख्वाहिश के मुताबिक कोई कहानी ना मिलने की वजह से उन्होंने खुद ही लिखने का फैसला कर लिया था।
उन्होंने अपने खास नावेल के लिए जो ड्राफ्ट तैयार किया था उसे बार बार पढ़ा और उस पर गौर किया और आखिरकार साल 2020 के दौरान उन्होंने अपना पहला नावील “ब्राइड ऑफ दि सी’” पूरा कर लिया था।
यह एक ऐसी किताब थी जिसको वह हमेशा पढ़ना चाहती थी उन्होंने इसके लिए जो नाम ढूंढा वह जद्दा शहर का उपनाम था जिसको अरूस अल बहर कहते हैं।
अरब न्यूज़ के साथ एक बैठक में ऐमन ने बताया कि “ब्राइट ऑफ दि सी” या फिर अरूज़ अल बहेर एक ऐसा नावेल है जिसमें जद्दा में रहने वाले सऊदी नागरिकों के बारे में लिखा गया है उन्होंने कहा कि इस किताब में मेरे बहुत सारे अनुभव भी शामिल हैं।
इसकी बुनियादी कहानी 1970 के दशक में शुरू होने वाली दो महाद्वीपों पर आधारित एक परिवार की कहानी है। एक बहुआयामी मोहब्बत की कहानी जो कि समंदर की तरह गहरी और बेहद प्रभावी है
यह नाविल एक बेहद ही सच्ची कहानी पर आधारित है जिसमें एहसास से भरे हुए बहुत सारे जज्बात आपको देखने को मिलेंगे। नाविललिस्ट ऐमन अब अमेरिका में रहती हैं। उनकी जिंदगी उनके बचपन के घर से दूर एक दुनिया में रहते हुए वह अभी इससे जुड़ी हुई है।