अल अरबिया नेट की रिपोर्ट के मुताबिक किंग सऊद यूनिवर्सिटी में इस्लामी पुरातत्व के सहायक प्रोफेसर प्रोफेसर और किंग सऊद यूनिवर्सिटी में पुरातत्व और पर्यटन से जुड़े चेयरमैन डॉक्टर मोहम्मद अली ने बताया कि वह मेहराब जो कि पैगंबर इस्लाम से जुड़ा हुआ है
असल में जगह बनाई गई है असल मे उस जगह वह खाना काबा को निर्धारित किए जाने पर नमाज पढ़ाया करते थे।
विद्वान इस बात पर सहमति जताते हैं कि मौजूदा मेहराब वही है पैगंबर इस्लाम नमाज पढ़ाते थे उसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।
उन्होंने बताया कि कुछ संदर्भ पुस्तकों में यह बताया गया है कि मेहराब के दरवाजे के ऊपर बिस्मिल्लाह के बाद कुरान की आयत लिखी गई है। जिसमें किबला के परिवर्तित होने की बात कही गई।
उन्होंने बताया कि मेहराब को अलग-अलग तरीकों से सजाया गया है सुल्तान अली जहीर ने पैगंबर साहब की मस्जिद के निर्माण में अत्यधिक दिलचस्पी ली है।
886 हिजरी के मुताबिक 1481 के दौरान मस्जिद-ए-नबवी में आग लगने की घटना हुई थी उस वक्त तक मेहराब नबवी अपनी पूर्व स्थिति में बरकरार रहा।
सुल्तान अशरफ ने नए-नए मेहराब की तैयारी का निर्देश दिया है। जिसमें विभिन्न शक्ल का रंगीन संगमरमर इस्तेमाल किया गया है।
नई मेहराब पहली मेहराब से ज्यादा खूबसूरत थी। यह मेहराब सालों तक स्थापित रही है और इसमें सुधार व मरम्मत का काम किया जाता रहा है। आज तक यही मेरा मौजूद है इसमें खूबसूरत डिजाइन बने हुए हैं।