हज का सफर जब शुरू होता है उसके पहले दिन जब लाखों मुसलमान मीना की तरफ से अपनी यात्रा शुरू करते हैं तो मक्का की महिलाएं मस्जिद अल हराम का रुख कर लेती हैं यह उनकी काफी पुरानी परंपरा रही है जो कि पिछले साल कोरोना वायरस की वजह से प्रभावित हो गई थी।
सऊदी अरब के अरब न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक़ इस्लामी कैलेंडर में अरफ़ात के दिन को पवित्र दिनों में से एक माना जाता है यह दिन नमाज और मुसलमानों की एकजुटता को दर्शाता है मक्का में रहने गले लोगों की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।
जब लाखों की तादाद में हज ज़ायरीन अरफ़ात के पहाड़ की तरफ निकल पड़ते हैं तो पीछे मक्का मुकर्रमा खासतौर पर मस्जिद अल हराम में बिल्कुल खामोशी सी छा जाती है कुछ ही घंटों में काबा के आसपास बने मुताफ़ में जहां एक वक्त में लाखों लोग मौजूद रहते हैं
उनकी जगह महिलाएं आ जाती हैं इस दिन को ” यौम अल खलीफ़” कहते हैं
जिसका मतलब खाली होने के हैं। मक्का शरीफ की औरतें और बच्चे जब मस्जिद अल हराम की तरफ होते हैं जबकि मर्द 5 मील दूर स्थित मीना की वादी की तरफ बढ़ जाते हैं।
जिल्हिज़्ज़ के महीने के आठवें दिन शहर भर के मर्द ज़ायरीन के लिए खाना, खेमा और अन्य तरह के ज़रूरी सामान इकट्ठा करते हैं।
खयाल रहे कि इस्लामिक परंपरा के मुताबिक वह मुसलमान जो हज का फर्ज अदा ना कर रहे हों उन्हें अरफ़ात के दिन रोजा रखने की हिदायत की गई है। मक्का में रहने वाली सभी औरतें इस दिन मस्जिद अल हराम का रूख करती हैं वहाँ जाने की उनकी पुरानी परंपरा है।