Connect with us

Saudi Arab

अरफ़ात के दिन मक्का की औरतें क्या क्या करती हैं और बाकी मुसलमानों को क्या करना चाहिए ?

Facebook Ad 1200x628 px 3 1

हज का सफर जब शुरू होता है उसके पहले दिन जब लाखों मुसलमान मीना की तरफ से अपनी यात्रा शुरू करते हैं तो मक्का की महिलाएं मस्जिद अल हराम का रुख कर लेती हैं यह उनकी काफी पुरानी परंपरा रही है जो कि पिछले साल कोरोना वायरस की वजह से प्रभावित हो गई थी।

सऊदी अरब के अरब न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक़ इस्लामी कैलेंडर में अरफ़ात के दिन को पवित्र दिनों में से एक माना जाता है यह दिन नमाज और मुसलमानों की एकजुटता को दर्शाता है मक्का में रहने गले लोगों की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।

Advertisement

जब लाखों की तादाद में हज ज़ायरीन अरफ़ात के पहाड़ की तरफ निकल पड़ते हैं तो पीछे मक्का मुकर्रमा खासतौर पर मस्जिद अल हराम में बिल्कुल खामोशी सी छा जाती है कुछ ही घंटों में काबा के आसपास बने मुताफ़ में जहां एक वक्त में लाखों लोग मौजूद रहते हैं

उनकी जगह महिलाएं आ जाती हैं इस दिन को ” यौम अल खलीफ़” कहते हैं

hajj 2

जिसका मतलब खाली होने के हैं। मक्का शरीफ की औरतें और बच्चे जब मस्जिद अल हराम की तरफ होते हैं जबकि मर्द 5 मील दूर स्थित मीना की वादी की तरफ बढ़ जाते हैं।

Advertisement

hajj 1
जिल्हिज़्ज़ के महीने के आठवें दिन शहर भर के मर्द ज़ायरीन के लिए खाना, खेमा और अन्य तरह के ज़रूरी सामान इकट्ठा करते हैं।

1174946 1457964784
खयाल रहे कि इस्लामिक परंपरा के मुताबिक वह मुसलमान जो हज का फर्ज अदा ना कर रहे हों उन्हें अरफ़ात के दिन रोजा रखने की हिदायत की गई है। मक्का में रहने वाली सभी औरतें इस दिन मस्जिद अल हराम का रूख करती हैं वहाँ जाने की उनकी पुरानी परंपरा है।