हज के फ़र्ज़ को अदा करने के लिए दुनिया भर के मुसलमान सऊदी अरब पहुँचते हैं। अलग-अलग देशों से आने वाले क़ाफ़िले जद्दा के बंदरगाह पर उतरते हैं जहां कुछ दिन ठहरने के बाद यह लोग मक्का मुकर्रमा जाते हैं।
जद्दा शहर को लोग हरमैन शरीफेन का दरवाज़ा भी कहते हैं। यहाँ आज भी वह स्थान मौजूद है जहाँ हज के ज़ायरीन के काफिले समुद्री जहाज के ज़रिए से आते हैं और बंदरगाह पर उतरते हैं और फिर मक्का मुकर्रमा के लिए जाने से पहले कुछ देर यहीँ रुकते हैं।
वक़्त के गुजरने के साथ जद्दा शहर विस्तृत होता गया है वर्तमान समय में जहां पर ब्लड की इमारत, रानी का भवन वग़ैरा हुआ करते हैं वहीँ पर जद्दा का प्रवेश द्वार था। इसी के सामने ज़ायरीन के काफिले उतरते थे और फिर यहाँ से मक्का मुकर्रमा के लिए पैदल, ऊँट, या घोड़ों पर रवाना हुआ करते थे।
जद्दा नगरपालिका के द्वारा जारी किए गए एक वीडियो के मुताबिक़ रेड सी हिस्टॉरिकल सेंटर के डायरेक्टर डॉक्टर अब्दुल्लाह बिन सराह ने बताया कि बाब मक्का के नाम से जो दरवाजा अतीत में स्थापित किया गया था वह उस वक्त के महत्वपूर्ण दरवाज़ों में से एक था।
बाब मक्का यानी कि मक्का गेट इतिहास के विभिन्न चरणों से गुज़र चुका है और इस दौरान उसे कई बार टूटना पड़ा है और दोबारा से उसका उसी जगह पर निर्माण कराया जाता रहा है।