नोमान की घाटी मक्का मुकर्रमा की सबसे बड़ी घाटी है। अतीत में सारे शायरों ने इस घाटी की खूबसूरती और पेड़ पौधों से ढकी हुई इस घाटी की विशेषता को बयान किया है। अरब शायरों के कलाम का यह एक महत्वपूर्ण विषय हुआ करता है हर दौर के शायरों ने इस पर गीत लिखे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि इस घाटी का रुख सीधा और दक्षिण में अरफात से होकर जाता है इस घाटी का पानी पश्चिम की तरफ बहता है और जद्दा के दक्षिण में लाल सागर में जाकर गिरता है।
अरब के बहुत सारे शायरों ने इस्लाम के आने से पहले और इस्लाम के हर तरफ फैलने के बाद अपने कलाम में इस घाटी का जिक्र किया है। यहां के हुस्न, ठंडी हवाओं और यहां पर उगने वाले भिन्न भिन्न प्रकार के पौधों जंगली जानवरों सभी को गीत में शामिल किया है।
नोमान की घाटी में कई ऊंचे पहाड़ हैं जो कि बेहद मशहूर है इनमें से एक जबल केरा है जिसका ज़िक्र शायरों ने अपने गीतों में किया है और इस पहाड़ को ऊंट के कूबड़ से इसे मूसाबा दिया है।
नोमान की घाटी की फितरत में बहुत सारी यहां से गुजरने वाली नदियां शामिल है बताया जाता है कि नोमान की घाटी में बहता हुआ पानी का एक महत्वपूर्ण झरना है जिसका नाम ऐन जबिदा है जहां से यह झरना मशहूर पहाड़ जबल केरा से निकलता हुआ अरफात से मक्का मुकर्रमा तक पूरे रास्ते से गुजरता है।