मक्का मुकर्रमा के निवासी सऊदी अरब के नौजवान मोहम्मद बख्श का कहना है कि ज़्यूफुर्रह्मान रहमान की सेवा करके रूह को सुकून हासिल होता है। विभिन्न देशों से आने वाले उम्र जायरीन के स्वयंसेवी सेवाओं करने की वजह से उन्हें विभिन्न भाषाओं की जानकारी हो चुकी है।
आजिल न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक मोहम्मद बख्श उर्दू के साथ विभिन्न भाषाओं को जानते हैं। वह यूनिवर्सिटी में सार्वजनिक स्वास्थ्य के छात्र हैं और अपने खाली वक्त में वह विभिन्न देशों से आने वाले उमरा जायरीन की सेवा में अपना समय बिताते हैं।
मोहम्मद बख्श ने बताया कि वह उर्दू इंग्लिश इंडोनेशिया बंगाली बेहद आसानी से बोल पाते हैं जबकि वह फ्रांस की भाषा भी काफी हद तक सीख चुके हैं।
मोहम्मद बख्श ने बताया कि विभिन्न भाषाओं से जानकार होने की वजह से अपने काम को काफी सुविधा के साथ कर पाते हैं भले ही वो रोजगार से जुड़ा काम हो या फिर स्वयंसेवी काम हो मक्का मुकर्रमा में दुनियाभर से लोग पहुंचते हैं और यह सिलसिला हमेशा जारी रहता है
इसलिए यहां पर रहते हुए विभिन्न भाषाओं को जानना काफी जरूरी भी हो जाता है और विभिन्न भाषाओं को बोलने वाले लोगों के यहाँ आने की वजह से यह आसान भी हो जाता है।
गौरतलब है कि मक्का मुकर्रमा से संबंध रखने वाले मोहम्मद बख़्श विभिन्न संस्थानों के साथ स्वयंसेवी तौर पर भी सेवाओं को अंजाम देते हैं जिनमें रेड क्रीसेंट अल सलाम सोसाइटी सहायता और खोज अना सही कल्याण संस्थान से भी जुड़े हुए हैं।