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काबुल एयरपोर्ट पर डेरा डाले मायूस बैठे लोंगो का छलका दर्द, बयान की अपनी आपबीती, सुनकर आपके भी रौंगटे काँप जायेंगे
अफगानिस्तान से संबंध रखने वाली शिरीन उन सैकड़ों नागरिकों में से एक हैं जो पिछले कई दिनों से काबुल इंटरनेशनल एयरपोर्ट के बाहर इस उम्मीद कि तौर पर डेरा लगाकर बैठी हुई हैं कि शायद उनको भी एक बेहतर जिंदगी गुजारने का मौका मिल सकेगा।
सऊदी अरब की न्यूज़ एजेंसी रॉयटर के मुताबिक 43 साल की शिरीन का संबंध उत्तरी प्रांत फरयाब है जिन्होंने पिछले पांच रात काबुल एयरपोर्ट के बाहर गुजारने के बाद अपने गांव वापस जाने का फैसला कर लिया है।
एयरपोर्ट पर मौजूद विदेशी फौज के अपमानजनक रवैया से मायूस होकर उन्होंने अफगानिस्तान से निकालने की योजना को छोड़कर तालिबान सरकार की जिंदगी गुजारने का फैसला कर लिया है।
शीरीन ने गुस्से का इजहार करते हुए कहा है कि मैं नई सरकार के तहत रहना चाहूंगी। बजाए इसके कि विदेशी लोग मुझे कचरा समझ कर मुझसे ऐसा बर्ताव करें काबुल एयरपोर्ट के बाहर बैठी एक दूसरी महिला शगुफ्ता ने भी कुछ ऐसे ही बातें बताइ हैं उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों के द्वारा किए गए वादों से मायूस होकर वह अपने घर वापस लौट रही हैं।
शिरीन के पति अफगान सरकार में नौकरी किया करते थे लेकिन फरवरी में वह देश से फरार होकर पाकिस्तान चले गए थे शिरीन खुद ही एक स्कूल में टीचर के तौर पर काम करती थी।
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