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75 साल बाद लम्बे इंतजार के बाद करतारपुर में भारतीय सिख भाइयों से मिली मुस्लिम पाकिस्तानी महिला

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पाकिस्तान और भारत के बीच करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन 12 नवंबर, 2019 को सिख धर्म के संस्थापक बाबा गुरु नानक की 550 वीं जयंती के अवसर पर किया गया था।

गुरुद्वारा करतारपुर साहिब वह स्थान है जहां बाबा गुरु नानक ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष यहां बिताए थे और यही कारण है कि दुनिया भर से सिख समुदाय के सदस्य यहां पूजा अर्चना और घूमने आते है

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करतारपुर कॉरिडोर मार्च 2020 में को,रोना वाय,रस के के कारण बंद कर दिया गया था और नवंबर 2021 में फिर से खोल दिया गया था। रोज यहाँ बड़ी संख्या में

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भारतीय सिख तीर्थयात्री गुरुद्वारा करतारपुर आ रहे हैं।

लेकिन पाकिस्तान और भारत के बीच इस गलियारे ने न केवल सिखों को बाबा गुरु नानक के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करने का अवसर दिया है, बल्कि भारत के विभाजन के दौरान अलग हुए परिवारों को फिर से जोड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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पाकिस्तान के शेखूपुरा जिले की रहने वाली मुमताज बीबी एक ऐसी महिला हैं जो भारत विभाजन के दौरान हुए दंगों के दौरान अपने परिवार से बिछड़ गई थीं।

मुमताज बीबी शेखूपुरा के एक सिख परिवार से ताल्लुक रखती थीं और 1947 में उन्हें उनके परिवार से अलग कर दिया गया था और फिर यहां उन्हें एक मुस्लिम परिवार ने गोद लिया और एक मुस्लिम के रूप में पाला

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और बड़ा किया इंटरनेट और करतारपुर कॉरिडोर ने मुमताज बीबी को 75 साल बाद अपने बिछड़े हुए भाइयों से मिलने की अनुमति दी।

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