इंडिया की समस्याओं का शिकार राष्ट्रीय एयरलाइन एयर इंडिया कई दशकों पहले देश को जाने और आवाम की जेब पर भारी बोझ डालने के बाद वापस अपने संस्थापकों के पास आ चुका है।
फ्रांस की न्यूज़ एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक बताया जा रहा है कि गुरुवार के दिन टाटा फैमिली के द्वारा जिन का चाय से लेकर सॉफ्टवेयर तक का विस्तृत कारोबार है ने 2 अरब 40 करोड़ की डील करने के बाद दोबारा से एयर इंडिया का चार्ज संभाल लिया है।
एयरलाइन की टाटा फैमिली स्थानांतरण करने के बाद इंडियन सरकार के लंबे अरसे से खरीदार की तलाश भी खत्म हो गई है जो कि साल 2009 से अब तक एयरलाइन को आगे बढ़ाने के लिए तकरीबन15 अरब रियाल खर्च कर चुकी है।
टाटा संस के चेयरमैन चंद्रशेखरन के द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि हम इस अमल के पूरा हो जाने और एयर इंडिया की वापसी पर बेहद खुश हैं।
हम इसे दुनिया के बेहतरीन एयर लाइन बनाने के लिए सबके साथ मिलकर काम करने के लिए तत्पर हैं। एयर इंडिया 1932 में स्थापित की गई थी और इसकी पहली फ्लाइट के पायलट जेआरडी टाटा थे।
इंडिया के नए स्वतंत्र सरकार के द्वारा 1953 में एयर इंडिया के ज्यादातर शेयर खरीदे लेकिन सदी के आखिर तक वेंचर खाड़ी कैरियर और कम कीमत वाला इनके साथ मुकाबला करने के लिए जद्दोजहद करने लगा था।
एक के बाद एक इंडियन सरकार के द्वारा कंपनी को प्राइवेटाइज करने की कोशिश की गई थी। लेकिन इसके भारी कर्ज और नई दिल्ली के शेर को बरकरार रखने पर अग्रह ने जो कि अब उसने खत्म कर दिया है खरीदारों को रोके रखा।