भारत न्यूज़ की रिपोर्ट में खुलासा करते हुए कहा कि ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति कैस सईद ने प्रधानमंत्री को हटाने और पार्लिमेंट को निलंबित करते हुए कर्फ्यू का ऐलान किया था।
आर्थिक समस्याओं और कोराना महामारी की वजह से हो रही मौत पर भड़के हुए लोगों के विरोध प्रदर्शन पिछले रविवार को राष्ट्रपति फरमान के जरिए यह फैसला किया गया है।
ट्यूनीशिया की ज्यादातर जनता इन समस्याओं और संकट को अब तक समझने से असमर्थ रहे हैं
यह स्थिति एक जगह तक कैसे पहुंच गई उसका जवाब अब तक एक प्रश्न चिह्न बनकर रह गया है।
ट्यूनीशिया की हाल की सामने आने वाले फोटो को देखते हुए यह बात स्पष्ट नजर आती है
की यहाँ की जनता बिगड़ते हुए सामाजिक आर्थिक और स्वास्थ्य की मौजूदा स्थिति के लिए राजनीतिक वर्ग को ही जिम्मेदार
ठहराते हुए उनपर इल्जाम लगा रही है।
इस्लामिक जमाअत अल नेहदा के ऑफिस वर्तमान दिनों में कई एक बस्तियों में प्रदर्शनकारियों के विरोध प्रदर्शन का संयुक्त लक्ष्य बन चुका है
क्योंकि कोरोना महामारी की बढ़ती हुई घटनाओं में सेहत की प्रणाली को अपंग बना कर रख दिया है
जिससे आर्थिक समस्याओं में बढ़ोतरी हुई है।
ट्यूनीशिया के राजनीतिक परिदृश्य को मद्देनजर रखते हुए अल नहदा से जुड़ा हुआ
कोई एक भी प्रतिद्वंदी इतने बड़े पैमाने पर जाकर इस जनमत को बदल नहीं सकता था।