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पढाई और मोहब्त की कोई उम्र नहीं होती 91 वर्षीय हनीफ ने किया PHD सोशल मीडिया ऊपर देखने के लगी होड़
अगर कोई इंसान कुछ ठान ले तो वो क्या नही कर सकता है इसकी ही जीती जगती मिसाल पेश किया है ९१ वर्ष के हनीफ ने जिनोह्णे अपनी मेहनत और लग से इतनी उम्र के बावजूद PHD की ओर्लोगो और देश के लिए मिसाल कायम की
हनीफ बाते है की कान में एक हियरिंग एड, डिवाइस पर हाथ, अभी भी सुनना मुश्किल है। जब आप बात करना शुरू करते हैं तो ज्ञान की नदियां बहती हैं, ऐसा लगता है जैसे सदियों के इतिहास की कोई फिल्म आपके सामने चल रही हो।
चारो और नजर दौड़ाओ तो कमरे में किताबों और अखबारों के ढेर हैं, या कागज और कलम के, या प्रमाण-पत्रों का चारो और जमावड़ा हो
ये है मुल्तान के एक मध्यमवर्गीय इलाके के एक घर और उसके मुखिया यानि मै हनीफ चौधरी के घर का हाल
सफेद दाढ़ी, सफेद बागे और सफेद पगड़ी पहने, मुहम्मद हनीफ चौधरी 91 वर्ष के हैं, और उन्होंने हाल ही में अपनी मातृभाषा पंजाबी में PHD की उपाधि प्राप्त की है।
जब से उन्होंने अपनी डिग्री हासिल की है, मुल्तान, उसके परिवेश और पूरे पाकिस्तान में उनकी प्रतिबद्धता की चर्चा हो रही है, लोगो कौंके घरो के पास मिलने के लिए जमवाड़ा लगने लगा है और हर कोई उनसे पूछ रहा है कि उस उम्र में इतनी मेहनत करने के बाद उन्हें PHD करने का विचार कैसे आया।
इसका वह बहुत ही उचित उत्तर देते हैं: ‘ज्ञान और प्रेम उम्र की सीमा निर्धारित नहीं करते हैं। मुझे किताबें पसंद हैं, मैं उन्हें पढ़ने के लिए और इंतजार नहीं कर सकता। ‘
मुहम्मद हनीफ चौधरी अब तक लगभग 33 पुस्तकें लिख चुके हैं और मुल्तान में पिछली शताब्दी पर 34वीं पुस्तक लिख रहे हैं।
‘मुल्तान ऑफ ए सेंचुरी’ शीर्षक के तहत प्रकाशित, पुस्तक मुल्तान में 1900 से 2000 तक हुई घटनाओं को कवर करेगी और इस शहर की वृद्धि, विकास और घनी आबादी का लेखा-जोखा देगी।
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