भारत सरकार के द्वारा हाल ही में करीब 119 लोगों को पद्म पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया है और इनमें 10 विदेशी और n.r.i. लोगों को भी शामिल किया गया है। इस 10 की लिस्ट में एक ऐसे व्यक्ति भी शामिल हैं जिनको पाकिस्तान के द्वारा डेथ वारंट जारी कराते हुए उनको मौत की सजा सुना दी गई थी।
यह व्यक्ति बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम पर स्वतंत्र शोधकर्ता और लेखक हैं इन्होंने मुक्ति संग्राम में भागीदारी की और भारतीय सेना के साथ कई लड़कियों में हिस्सा लिया पाकिस्तान के द्वारा सज्जाद अली जहीर को करीब 50 सालों से तलाश किया जा रहा है।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में सज्जाद अली ज़ाहिर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है सन 1971 में सज्जाद अली जाहिर पाकिस्तान सेना में बतौर कर्नल काम कर चुके हैं।
लेफ्टिनेंट कर्नल सज्जाद अली ज़ाहिर मूल तौर पर पूर्वी पाकिस्तान यानी के बांग्लादेश से संबंध रखते हैं। सन 1969 में पाकिस्तानी सेना के 14 में पैरा ब्रिगेड स्पेशल फोर्स में उन्हें शामिल किया गया लेकिन पाकिस्तान के लोग पूरी पाकिस्तान से आए हुए सैनिकों पर भरोसा नहीं करते थे यहां तक की उन लोगों को प्रशिक्षण भी पश्चिमी पाकिस्तान की सेना से बिल्कुल अलग प्रकार की दी जाती थी।
पश्चिमी पाकिस्तान के सैनिकों द्वारा पूर्वी पाकिस्तान से आए हुए सैनिकों पर कड़ी नजर रखा करते थे उन्हें हमेशा शक रहता था कि यह लोग उनके खिलाफ जा सकते हैं पूर्वी पाकिस्तान पर काफी ज्यादा ज़ुल्म किया जाता था और पश्चिमी पाकिस्तान के लोगों को डर था कि यह सैनिक उनके खिलाफ आवाज उठा सकते हैं और उनके खिलाफ जा सकते हैं और ऐसा हुआ भी जब पूर्वी पाकिस्तान में हालात बिगड़ने लगे थे तब उस जगह से पूर्वी पाकिस्तान के सभी जवानों को हटा दिया गया था इन सब जुल्म और अत्याचार को देखने के बाद जहीर को अंदर से झकझोर कर रख दिया था वह वहां से भाग निकले और जम्मू की तरफ निकल गए
कर्नल अपने साथ पाकिस्तान की सेना से जुड़े सारे अहम दस्तावेज भी उड़ा ले गए थे यहां तक कि उन्होंने पाकिस्तान की खुफिया जानकारी भी भारत सेना को दे दी थी। इसके बाद उन्होंने बांग्लादेश को आजाद कराने के लिए ऑपरेशन चलाएं जिससे गुस्सा होकर पाकिस्तान ने उनके खिलाफ़ डेथ वारंट जारी कर दिया था।