पब्लिक प्रॉसिक्यूशन के द्वारा विवरण दिया गया है कि खुफिया जानकारी या दस्तावेज को उजागर करना गम्भीर अपराध के अंतर्गत आता है जिसमे की 20 साल की कैद की सज़ा और 10 लाख रियाल का जुर्माना हो सकता है।
सबक न्यूज़ के द्वारा प्रॉसिक्यूशन की तरफ से जारी की गई चेतावनी नोटिस के हवाले से बताया जा रहा है कि प्रोसिक्यूटर की तरफ से जारी किए गए कानून की शक अल्फ के मुताबिक खुफिया जानकारी या फिर दस्तावेज को जारी करना या उसको उजागर करना बड़े जुर्म में शमिल किया गया है। जिसपर कैद की सज़ा निर्धारित की गई है।
प्रॉसिक्यूशन की तरफ जारी किए गए चेतावनी नोटिस में 6 नुक्तों पर बयान किया गया है। जिनके तहत सज़ा का सामना करना पड़ता है। बयान किए गए नुक्तों खुफिया जानकारी उजागर करना और जानकारी को हासिल करना किसी ऐसे जगह पर दाखिल होना जहाँ पर जाना माना होता है खुफिया जानकारी को किसी भी गैरकानूनी ज़रिए या तरीके से हासिल करना शामिल है।
चेतावनी नोटिस के चौथे नुक्ते में कहा गया है कि राष्ट्रीय शान्ति रक्षा से जुड़े किसी भी खुफिया दस्तावेज को नष्ट करना जबकि वह इस बात से वाकिफ हो कि यह राष्ट्र के सुरक्षा से जुड़ा है।